बीजापुर जिले में जगह जगह गौरी पुजन हेतु पुष्प सजाकर नाच गाना कर माँता को प्रसन्न करने बढ़ चढ़कर महिलाओं एवं बालिकाओं ने लिया हिस्सा ।
जानकारी अनुसार🔥
बतुकम्मा, तेलंगाना का एक अनोखा पुष्प उत्सव है, जो नौ दिनों तक मनाया जाता है और महिलाओं द्वारा देवी गौरी को समर्पित है.
यह त्योहार फसल की कटाई के बाद मनाया जाता है, जिसमें महिलाएं विशेष रूप से सजाए गए फूलों के ढेर (बथुकम्मा) को लेकर गीत और नृत्य करती हैं. इस त्योहार को मनाने के मुख्य कारण देवी पार्वती के आशीर्वाद का धन्यवाद करना, स्त्री सम्मान को बढ़ावा देना और देवी को नींद से जगाना है.
बतुकम्मा क्यों मनाया जाता है?
देवी गौरी का सम्मानः यह नौ दिवसीय पर्व देवी गौरी को समर्पित है और उनकी पूजा की जाती है.
फसल की कटाई का उत्सवः बतुकम्मा को फसल की कटाई के बाद मनाया जाता है, जो देवी पार्वती के आशीर्वाद के लिए धन्यवाद व्यक्त करने और अगले वर्ष के लिए उनसे आशीर्वाद मांगने का एक तरीका है.स्त्री शक्ति का उत्सवः यह महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला उत्सव है और स्त्री शक्ति का प्रतीक है, जो इसे स्त्री सम्मान का एक महत्वपूर्ण पर्व बनाता है.
देवी को जगानाः एक मान्यता के अनुसार, देवी पार्वती ने महिषासुर का वध करने के बाद गहरी निद्रा में चली जाती हैं और यह नौ दिवसीय त्योहार उन्हें अपनी नींद से जगाने के लिए मनाया जाता है.
यह कैसे मनाया जाता है?
फूलों की सजावटः महिलाएं विभिन्न प्रकार के रंगीन फूलों का उपयोग करके ‘बथुकम्मा’ नामक एक शंकु के आकार का ढेर बनाती हैं, जो देवी का प्रतीक है.
सामूहिक नृत्य और गीतः बथुकम्मा को लेकर महिलाएं नृत्य और गीत गाती हैं.
विसर्जनः त्यौहार के अंतिम दिन, बथुकम्मा को झीलों और तालाबों में विसर्जित किया जाता है, जिससे जल संसाधनों की शुद्धता और गुणवत्ता में सुधार होता है.
प्रसाद और उपहारः इस दौरान देवी को विभिन्न प्रकार के प्रसाद और नैवेद्यम (भोजन प्रसाद) चढ़ाया जाता है।
यहाँ बीजापुर जिले की बात की जाए तो जय स्तंभ चौक पर माताओ ने भी बतुकम्मा सजाकर नाच गाना प्रारंभ किया जो कि नवरात्री प्रारंभ से ही शुरू हो जाता है।
इस कार्यक्रम में बीजापुर जिले का तेलगा समाज बढ़ चढ कर आयोजित करवाता है ।
यहाँ की रौनकता तब और बढ़ जाति है जब दूसरे समाज के भी लोग माता गौरी के समक्ष नाच गा कर पूजा पाठ में सम्मिलित होते हैं ।
वही जब हमने मधु कटला ‘ माधव राव , दिनेश ‘ एवं दीपक जो समाज प्रमुख हैं उनसे बात किया तो उन्होंने बताया हम यह त्यौहार काफी दिनों से मानते चले आ रहे हैं जिसमें हमारे समाज के साथ-साथ सभी लोगों का सहयोग रहता है